नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2017 की स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (एसएससी) परीक्षा में शामिल हुए लाखों छात्रों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने एसएससी को निर्देश दिया है कि वो 2017 का रिजल्ट घोषित करे। कोर्ट ने कहा कि नियुक्तियां कोर्ट के अंतिम फैसले पर निर्भर करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में एडमिशन के लिए आयोजित की जाने वाली प्रतियोगिता परीक्षाओं की प्रक्रिया को फुलप्रूफ बनाने के लिए उपाय सुझाने के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया है। सात सदस्यीय कमेटी की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस जीएस सिंघवी करेंगे। इस कमेटी में इंफोसिस प्रमुख नंदन नीलेकणी और वैज्ञानिक विजय भाटकर भी शामिल हैं।
पिछले एक अप्रैल को कोर्ट ने 2017 की संयुक्त ग्रेजुएट परीक्षा की 9 मार्च, 2018 को हुई टियर 2 की परीक्षा के नतीजों को मंजूरी दे दी थी।
सुनवाई के दौरान एसएससी की ओर से कहा गया था कि 2017 की संयुक्त ग्रेजुएट परीक्षाओं को निरस्त नहीं किया जाए। एसएससी ने कहा था कि परीक्षा पास कर लाखों बेरोजगार नौजवान नौकरी के इंतजार में हैं। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे इसलिए इंतजार कर रहे हैं कि आप में से कोई भ्रष्ट है और प्रश्न पत्र लीक हुए।
पिछली 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से 2017 की एसएससी परीक्षा दोबारा आयोजित करवाने पर उसका रुख पूछा था । इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि परीक्षा में हुई गड़बड़ी के मद्देनजर इसे रद्द कर दोबारा आयोजित करवाना ही बेहतर रहेगा ।
29 अक्टूबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 2017 की एसएससी परीक्षा को रद्द कर नए सिरे से परीक्षा करवाना बेहतर है। उसके पहले 31 अगस्त, 2018 को कोर्ट ने एसएससी की 2017 की संयुक्त ग्रेजुएट लेवल और सीनियर सेकेंडरी लेवल परीक्षा के परिणाम घोषित करने पर रोक लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रथमदृष्टया पूरा सिस्टम गड़बडियों से भरा हुआ दिख रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह एसएससी में गड़बड़ी कर किसी व्यक्ति को नौकरी करने की अनुमति नहीं दे सकता है।
सुप्रीम कोर्ट: एसएससी-2017 की परीक्षा का परिणाम घोषित करने के निर्देश